Saurabh Sharma: कौन है ये कांस्टेबल, जिसने बनाई सोने-चांदी और नोटों की पहाड़ियां?
Saurabh Sharma: मध्यप्रदेश के भोपाल जिले में 19 दिसंबर को एक गांव में छोड़े गए वाहन से 11 करोड़ रुपये नकद और 52 किलो सोना बरामद होने के मामले ने सभी को चौंका दिया है। इस मामले में संदिग्ध सौरभ शर्मा, एक कांस्टेबल, की तलाश में तीन जांच एजेंसियां लगी हुई हैं। लेकिन अब तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है। इस घटना ने सौरभ शर्मा की जीवनशैली और उनके धन-संपत्ति के स्रोतों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
कौन है सौरभ शर्मा?
सौरभ शर्मा उर्फ चिंटू, ग्वालियर के निवासी और पूर्व सिविल सेवा अभ्यर्थी हैं। कहा जाता है कि वह उन छात्रों के समूह का हिस्सा थे, जिन पर हाल ही में बनी चर्चित फिल्म ’12वीं फेल’ आधारित है। सौरभ ने राज्य सिविल सेवा परीक्षा में साक्षात्कार तक का सफर तय किया था।
उनके पिता, जो एक सरकारी कर्मचारी थे, की मृत्यु के बाद सौरभ को अनुकंपा आधार पर परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन इस नियुक्ति को लेकर विवाद पैदा हो गए।
परिवहन विभाग, जो अक्सर रिश्वतखोरी के लिए बदनाम है, में काम करते हुए सौरभ ने बहुत जल्दी कामकाज के अनौपचारिक तरीकों को सीख लिया। विवादों के कारण उन्होंने कांस्टेबल के पद से इस्तीफा दे दिया और एक निर्माण व्यवसाय शुरू किया। यह व्यवसाय कथित रूप से अन्य गतिविधियों के लिए माध्यम बन गया।
गाड़ी में मिले नकदी और सोना
19 दिसंबर की रात लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना (एसपीई) ने भोपाल में सौरभ शर्मा से जुड़े दो ठिकानों पर छापा मारा। यहां से 2.1 करोड़ रुपये नकद और सोने-चांदी की ईंटें बरामद हुईं।
इसके बाद इनकम टैक्स विभाग ने मेंडोरी गांव के एक खेत में एक वाहन को देखा, जिस पर ‘रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर’ (आरटीओ) की प्लेट और सायरन लगा था। वाहन की तलाशी में एक बैग में 11 करोड़ रुपये नकद और 52 किलो सोना मिला।
सौरभ शर्मा के खिलाफ लुकआउट नोटिस
इस घटना के बाद से सौरभ शर्मा फरार हैं। उनकी अग्रिम जमानत याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। 27 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौरभ शर्मा, उनके रिश्तेदारों और व्यापारिक सहयोगियों के ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया।
इनकम टैक्स विभाग ने उन्हें नोटिस जारी किए हैं, जबकि लोकायुक्त की एसपीई ने राज्य आपराधिक जांच विभाग से उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक, संभावना है कि सौरभ शर्मा विदेश भाग गए हों।
भ्रष्टाचार और प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंध
सौरभ शर्मा के घर से बरामद दस्तावेजों में अधिकारियों और राजनेताओं की एक सूची मिली है, जिन्हें कथित रूप से रिश्वत दी गई थी। इसके अलावा, महंगी घड़ियां, डिजाइनर बैग और अन्य महंगे उपहार भी बरामद हुए हैं।
यह सब दर्शाता है कि सौरभ शर्मा ने प्रभावशाली व्यक्तियों को अपने पक्ष में करने के लिए बड़ी मात्रा में धन और उपहारों का इस्तेमाल किया। उनके ठिकानों से मिले प्रमाण बताते हैं कि उनका नेटवर्क काफी बड़ा और प्रभावशाली था।
संपत्ति के स्रोत पर सवाल
सौरभ शर्मा का परिवहन विभाग में काम करना और उसके बाद अचानक से इतनी बड़ी संपत्ति का मालिक बनना कई सवाल खड़े करता है।
- रिश्वतखोरी का जाल: परिवहन विभाग में काम करते हुए उन्होंने रिश्वतखोरी से संपत्ति जुटाई।
- निर्माण व्यवसाय का उपयोग: उनके निर्माण व्यवसाय का उपयोग धन के गुप्त प्रवाह को छिपाने के लिए किया गया।
- राजनीतिक और प्रशासनिक संबंध: उन्होंने राजनेताओं और अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर अपनी संपत्ति बढ़ाई।
जांच एजेंसियों का रुख
जांच एजेंसियां इस मामले में कई कोणों से जांच कर रही हैं:
- ईडी: प्रवर्तन निदेशालय संपत्ति और धन शोधन के मामलों की जांच कर रहा है।
- आयकर विभाग: इनकम टैक्स विभाग ने उनके आय के स्रोतों पर नजर डाली है।
- लोकायुक्त: लोकायुक्त विभाग भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के पहलुओं की जांच कर रहा है।
जनता की चिंता और सवाल
इस मामले ने समाज में भ्रष्टाचार और सरकारी विभागों की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
- कैसे एक कांस्टेबल इतनी बड़ी संपत्ति का मालिक बन सकता है?
- क्या प्रशासनिक तंत्र इस तरह के भ्रष्टाचार को रोकने में असमर्थ है?
- क्या सौरभ शर्मा अकेले इस पूरे मामले में शामिल थे, या इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क है?
सौरभ शर्मा का मामला केवल व्यक्तिगत भ्रष्टाचार का नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक व्यवस्था में छिपे गहरे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। यह घटना न केवल जांच एजेंसियों के लिए चुनौती है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
इस मामले के सभी पहलुओं का खुलासा होने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद ही यह साफ हो सकेगा कि सौरभ शर्मा ने इस संपत्ति को कैसे अर्जित किया और उनके नेटवर्क में कौन-कौन शामिल थे।